उपमंडल होडल के प्रसिद्व एतहासिक व प्राचीन बंचारी गांव में आज हुरंगा पर जमकर रंग बरसाए व नागरिकों ने इसका भरपूर आनंद लिया।। होडल उपमंडल के बंचारी,सौंध,दीघौट गांव में प्रत्येक साल धूरेडी के बाद अगले दिन हुरंगा का त्यौहार मनाया जाता है। इस अवसर पर ग्रामीणों के द्वारा पीतल की बड़ी-बड़ी पिचकारियों से एक दूसरे पर पानी के रंग की बरसात की जाती है ।बंचारी गांव में आज इसकी शुरुआत नीम वाले मंदिर से हो कर बंचारी गांव के प्रसिद्ध दाऊजी मंदिर से सरपंच सीताराम ने रीबन कट करके की। बंचारी गांव में जगह- जगह स्वागत द्वार व कपडे की झालरों से पूरे बंचारी गांव को विशेष रूप से सजाया गया था। बंचारी गांव में चौथैया पट्टी,पंछा पट्टी,पेम पट्टी के नागरिकों के बीच यह होली का त्योहार जिसको हुरंगा के नाम से जाना जाता है और जो धुलेंडी से अगले दिन खेला जाता है। इस त्यौहार को मनाने के लिए ग्रामीणों के द्वारा लगभग एक माह पहले से ही तैयारी करनी आरंभ कर दी जाती है । ग्रामीणों के द्वारा कई गई फुट लंबी पीतल की पिचकरियां बनवाई जाती है। जिनको की ग्रामीण अपनी छ ाती पर रखकर के चलते हैं। पंछा पट्टी के नागरिक पहले चौथैया पट्टी में होली खेलने के लिए जाते हैं व उसके बाद दोनों मिलकर के प्रेम पट्टी में होली खेलने के लिए आते हैं । जहां पर सैकड़ो की संख्या में ग्रामीण पिचकारियों से एक दूसरे के ऊपर पानी में रंग घोल करके पानी की बरसात करते हैं । यह होली लगातार कई घंटे तक खेली जाती है और इस गांव की होली को देखने के लिए हजारों की संख्या में नर नारी बंचारी गांव में आते हैं और इस होली के पर्व का आनंद लेते हैं। कई घंटे तक चलने वाली इस रंगीन पानी की होली के रंग में सभी ग्रामीण सरोवर हो जाते हैं और शाम को दाऊजी मंदिर पर ही इसका समापन किया जाता है । शाम को बंचारी के समीप स्थित लोहिना,डकोरा, मरौली व जटयानी गांवों के ग्रामीण बंचारी दाऊजी मंदिर पर आते हैं और पूजा अर्चना करने के साथ ही इस होली के पर्व का समापन करते हैं । हरियाणा में बंचारी की होली पूरी हरियाणा में प्रसिद्ध है और इसको देखने के लिए देश व विदेश तक के नागरिक आते हैं । रंग की होली के समापन के बाद रात को सभी चौपालों व अनेकों स्थान पर देश-विदेश में प्रसिद्ध बंचारी की नगाड़ा पार्टी के कलाकारों के द्वारा रागनियों की प्रस्तुति दी जाती है । जिसको देखने के लिए भी हरियाणा के अनेकों राजनेता व हजारों की संख्या में नागरिक आते हैं और पूरी रात नगाड़ा व गीतों पर जमकर नृत्य करते हैं। बंचारी गांव की होली एक दूसरे को प्रेम से रहने का संदेश भी देती है। बंचारी गांव में स्थित चौथैया पट्टी ,पंछा पट्टी व प्रेम पट्टी के नागरिक जिस प्रकार से एक दूसरे के साथ होली का त्योहार खेलते हैं व गांव में इस होली को देखने के लिए आने वाले नर नारियों के लिए पूरे आदर सत्कार का कार्यक्रम भी होता है। बंचरी गांव में सभी ग्रामीणों के द्वारा अपने-अपने घरों में बाहर चारपाई तथा मुंडे कुर्सियां डाल दी जाती हैं। बाहर से आने वाले नर नारी जिस किसी के मकान पर बैठ जाते हैं वही मकान मालिक उनके खाने-पीने व रात को सोने का प्रबंध करता है । इस होली से गांव में आपसी प्रेम भाईचारा भी बढ़ता है वही अनेकों सालों से आ रहा है यह पर्व पूरे ग्रामीणों के द्वारा हर्षोल्लास व प्रेम के साथ मनाया जाता है। होली के त्योहार पर बंचारी गांव में कभी भी किसी भी प्रकार का आपसी झगड़ा नहीं होता है। जिससे यह बंचारी की होली पूरे हरियाणा प्रदेश में आपसी भाईचारे को मजबूत करने का भी संदेश देती है। हरियाणा सरकार द्वारा अगर बंचारी गांव में प्रत्येक साल खेली जाने वाली होली का नंदगांव व बरसाने की तरह प्रचार व प्रसार किया जाए तो इस गांव की होली के प्रति देश व विदेश के नागरिकों का आकर्षण भी बढ़ सकता है।