सिविल सर्जन के पीछे छुपी बड़ी मछलियों की खुल पाएगी कलई

 

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पलवल के सिविल सर्जन डाक्टर जय भगवान जाटान की रिश्वतखोरी में हुई गिरफ तारी के बाद उनके राजनैतिक आकाओं पर भी शिकंजा कसने की आशंकाओं के चलते राजनेताओं में हडक़म्प मच गया है। उल्लेखनीय है कि सीएमओ का लगभग 12 दिन पहले तबादला हेा गया थ। उनके तबादले के बाद उनको रिलीव नहीं किया गया थ। जबकि अधिकतर अधिकारियों के तबादले होने के तुरन्त बाद ही उनको रिलीव करा कर उनके नए स्थान पर नियुक्त कर दिया जाता है। लेकिन सीएमओ को रिलीव नहीं किया गया था। इसके अलाबा उनके तबादले को रूकने की बात भी कही जा रही है। जिस प्रकार से उनको रिलीव नहीं करके उनक ेतबादले को रूकने की बात कही जा रही है। उससे उनकी राजनैतिक ऊंची पहुंच का भी अंदाजा लगाया जा सकता है। उनको राजनैतिक संरक्षण प्रदान होने के कारण ही उनको रिलीव नहीं किया गया था व उनके द्वारा अपने आपको सुरक्षित मान कर पलवल के सिविल सर्जन के रूप में कार्य किया जा रहा था। यही कारण रहा है कि उनके अपनी सीट पर जमने के बाद पलवल के निजी अस्पताल प्रवन्धन से दुबारा से उनके द्वारा तय की गई बकाया राशि को मांाग गया था तथा यही उनकी गलती साबित हुई व उनको विजलेंस टीम के द्वारा पकड़ लेने से उनको अब जेल की हवा खाने को मजबूर होना पड़ा है। लेकिन इस मामले में यह भी अहम है कि सीएमओ कोई हल्की पहुंच नहीं रखता था तथा उसक ी पहुंच राजनैतिक गलियारों की बड़ी मछलियों से थी। इसी कारण ही तबादला होने के बाद भी उनको रिलीव नहीं किया गया था। माना जा रहा है कि उनकी गिरफ तारी के बाद उनके तबादला से ले कर अब तक की उनकी मोबाईल की डिटेल खंगाल कर उनके द्वारा सम्पर्क में आने वाले राजनेताअें से भी पूछताछ की जाएगी या फि र इस मामले को यहीं पर दबा कर उनको बलि का बकरा बना कर इस मामाले को दबा दिया जाएगा।

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