सावन के महीने में हलवाइयों के द्वारा घेवर की जमकर बिक्री की जा रही है। जहां नागरिकों को दुकानदारों के द्वारा खोवे व मलाई के घेवर के रूप में शुद्ध घेवर देने के दावे किए जा रहे हैं, वही इन घेवर में भारी मिलावट करके नागरिकों को धीमा जहर के रूप में इस घेवर को भरोसा जा रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार होडल में बिकने वाला खोए व मलाई के घेवर में मिलावटी खोवे का प्रयोग किया जा रहा है। दुकानदारों के द्वारा मेवात व उत्तर प्रदेश में बनने वाले खोवे को लाकर के उसको घेवर के ऊपर लगाकर असली खोवा बतला करके बेचने का कार्य किया जा रहा है। होडल में हलवाइयों के द्वारा इनके मनमाने दाम वसूल किया जा रहे हैं । हलवाइयों के द्वारा 500 रूपए से लेकर के 800 रूपए प्रति किलोग्राम तक इस घेवर को बेचने का कार्य किया जा रहा है। हलवाइयों के द्वारा सावन के आरंभ होने पर इस घेवर को बनाना आरंभ कर दिया गया है तथा रक्षाबंधन तक इस घेवर की बिक्री की जाएगी। आगामी तीज व रक्षाबंधन के त्यौहार पर होडल में जगह-जगह घेवर की दुकान लगती है, जहां पर इस घेवर को बेचने के लिए हलवाइयों के द्वारा अभी से स्टॉक करना आरंभ कर दिया गया है। त्योहारों को देखते हुए मिलावटखोरो के खिलाफ प्रशासन द्वारा भी कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई जा रही है । पलवल जिले से सटे फरीदाबाद में जहां हलवाइयों के घेवर के सैंपल लिए गए हैं, वहीं पलवल जिले व होडल में एक भी हलवाई के घेवर का सैंपल नहीं लिया गया है। जिसका मुख्य कारण हलवाइयों कि उनके साथ आपसी सांठगांठ है। इसी कारण ही सावन माह में सबसे अधिक बिकने वाले घेवर का एक भी सैंपल अभी तक नहीं लिया गया है । ऐसा लगता है कि प्रशासन द्वारा भी मिलावटी घेवर को बेचने की हलवाइयों को अपनी मूक स्वीकृति प्रदान की गई है, जिस कारण से तीज व रक्षाबंधन के त्यौहार को देखते हुए घेवर का एक भी सैंपल नहीं लिया गया है। हलवाइयों के द्वारा नागरिकों को खोवे के घेवर के रूप में धीमा जहर परोसा जा रहा है। जिससे नागरिकों के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ेगा और उनमें अनेकों बीमारियां पैदा होगी। नागरिकों ने होडल में मिलावट खोरों के द्वारा बेचे जा रहे घेवर का सैंपल लेकर के इन पर तुरंत रोक लगाने की मांग की है।
